जिंदगी का खेल भी शतरंज की बिसाख पर है बिछा पड़ा जिंदगी का खेल भी शतरंज की बिसाख पर है बिछा पड़ा
फिर से जैसे जिंदगी की ओर मुड़ने लगी हूं। फिर से जैसे जिंदगी की ओर मुड़ने लगी हूं।
शैतानी देख कहती, खाना अब न दूँगी तुझे, फिर मार मार के माँ का खिलाना अच्छा लगता है. शैतानी देख कहती, खाना अब न दूँगी तुझे, फिर मार मार के माँ का खिलाना अच्छा लगता ह...
कितनी रंगीन है तुम्हारी दुनिया अजब रंगों से सजी रहती हो. कितनी रंगीन है तुम्हारी दुनिया अजब रंगों से सजी रहती हो.
कई दिनों से फूलों में महक है ही नहीं मैं हूं ...पर आजकल मैं ... हूं ही नहीं, कई दिनों से फूलों में महक है ही नहीं मैं हूं ...पर आजकल मैं ... हूं ही नहीं,
मिल जाएं अगर तुमसे बेहतर चंद लम्हों में आशिक बदलता है। मिल जाएं अगर तुमसे बेहतर चंद लम्हों में आशिक बदलता है।